कात्यायनी – क्लीं श्रीं त्रिनेत्रायै नमः।।
प्रदोष च्या वेळी पारद शिवलिंगा वर शिव महिमा स्तोत्र ने अभिषेक करून कोणत्याही आर्थिक स्थिती चे टार्गेट पूर्ण करता येते. किंवा आर्थिक संकटे दूर करता येतात.
अगर आपके परिवार में किसी सदस्य की तबीयत खराब है और दवाई आदि का भी कोई असर नही हो रहा है, तो आपको पराद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इस शिवलिंग की पूजा करने से सभी रोगों से छुटकारा मिलता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पारद शिवलिंग को बहुत शुभ माना गया है। पारद शिवलिंग शुद्ध पारा धातु से बना होता है। इसकी स्थापना से दरिद्रता दूर हो जाती है और माता लक्ष्मी का घर में वास होता है। पारद शिवलिंग को स्थापित करने से आरोग्य, धन-धान्य, सुख और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। पारद शिवलिंग को भगवान् शिव, माँ लक्ष्मी और कुबेर देव का प्रतीक माना जाता है। आंतरिक और आध्यत्मिक शक्ति पाने के लिए भी पारद शिवलिंग की स्थापना की जाती है।
पारद शिवलिंग को साक्षात शिवजी का स्वरूप माना गया है, इसकी पूजा से मिलता है अक्षय पुण्य
- शिवलिंग घरों में अलग तरह से स्थापित होता है और मंदिर में अलग तरीके से.
यासाठी संबंधित क्षेत्रातील तज्ज्ञांचा सल्ला आणि मार्गदर्शन घेणे आवश्यक आहे.)
साथ ही अपने आसपास गंगाजल, रोली, मोली चावल, दूध और हल्दी चंदन रखना चाहिए।
ग्रह दोष निवारण: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पारद शिवलिंग की पूजा से ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
पारद शिवलिंग ज्या घरात असेल तेथे अकाल मृत्यू चे भय राहत नाही.
- थाल या पात्र में एकत्रित जल को पौधों में डाल सकते हैं.
सुख वैभव की प्राप्ति और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए पारद श्री यंत्र को घर में स्थापित करना बेहद शुभ होता है। इस यंत्र की घर में स्थापना करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पारद श्री यंत्र का दैवीय प्रतीक लक्ष्मी माता और कुबेर देव को माना गया है। पारिवारिक सुख और आर्थिक मजबूती के लिए लक्ष्मी माता का ये यंत्र स्थापित किया जाता है। इसे सभी यंत्रों में महत्वपूर्ण get more info स्थान प्राप्त है। इस यंत्र को प्रभावकारी बनाए रखने के लिए प्रतिदिन इसकी पूजा अर्चना के साथ मंत्र उच्चारण करना बेहद आवश्यक है। विशेषरूप से होली, दिवाली, नवरात्री और शिवरात्रि के दौरान सही मंत्रोच्चार कर इस यंत्र को अधिक प्रभावकारी बनाया जाता है। पारद श्री यंत्र सोना, चांदी और तांबे का हो सकता है।
कुबेर कुंजी की स्थापना त्रयोदशी तिथि में करें।
पारद शिवलिंग और स्फटिक शिवलिंग की स्थापना